मेरा रहबर
वो सच कहाँ था ,जो सच कहा था ।
मेरे ही रहबर ने,मुझको ही ठगा था ।
पढ़ता रहा जो क़सीदे शान में मेरी ,
लफ्ज़ लफ्ज़ जिनमे भरा दगा था ।
…विवेक दुबे”निश्चल”@..
वो सच कहाँ था ,जो सच कहा था ।
मेरे ही रहबर ने,मुझको ही ठगा था ।
पढ़ता रहा जो क़सीदे शान में मेरी ,
लफ्ज़ लफ्ज़ जिनमे भरा दगा था ।
…विवेक दुबे”निश्चल”@..