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6 Aug 2024 · 1 min read

मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा

मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा,
खुशियों का वो सागर अब वीरान हो गया।

उसकी हंसी में बसी थी मेरी हर एक सुबह,
पसरी खामोशी हर रंग अब फीका हो गया।

यादों की किताब में उसका नाम था लिखा,
पर उस नाम की खुशबू अब कहीं खो गया।

हर मोड़ पर हुआ करती थी उसकी ही बातें,
हर गलियों में हुआ करता था उसका साया।

दिल का वो कोना अब अधूरा सा रह गया,
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा।

— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार

Language: Hindi
1 Like · 92 Views
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