मेरा भी जिक्र कर दो न
कुछ लम्हे भ्रम में जी लूं याद रहें,
जिंदगी में कुछ रंग यूं भर दो न ।
कुछ लफ्ज मेरे नाम लिखकर ही,
शब्दों की सरगम को संवरने दो न
अपनी तमाम मशहूर नज्मों में ,
कभी जिक्र मेरा भी कर दो न।
तू सूरज आसमां का जानती हूं,
जमीं हूं मैं किरणे बिखरने दो न ।
महसूस करूं तेरी एक धड़कन को,
एहसास रूह में मेरी उतरने दो न।
अपनी……………..।
कटेगी अपनी तो बस इंतजार में ही,
तुझे भी तलब है मेरी समझने दो न।
जिक्र तेरा रहे ताउम्र ख्यालों में सही,
एहसास ए इश्क से मुझे गुजरने दो न।
अपनी…………………….।
खुशी इतनी ही काफी होगी मेरे लिए ,
तेरी नज्मों में मुझे एक हर्फ बनने दो न।
पढ़ लोगे कभी एक बार मुझे पलटकर,
किसी पन्ने पर मेरा जिक्र संवरने दो न
अपनी………………….।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश