मेरा भारत बदल रहा है,
मेरा भारत बदल रहा है, लिख रहा है नयी ईबारत,
दबे हुए अरमानों की,, नये नए फरमानों की,
बीत गए अफसानों की,नव सृजित अभियानों की,
अमृत काल यह चल रहा, मेरा भारत बदल रहा!
हम क्यों पूजैं गांधी को,हम क्यों मानै नेहरु को,
स्वतंत्र देश में जन्मे हैं, हम क्या जाने गुलामी को,
लडी होगी जंग जिन्होंने, हमने उनको कब देखा है,
सुनी सुनाई बातों को ,कब कहाँ किसने परखा है,
हम वर्तमान में जीने वाले, भूतकाल में क्या रखा है,
अमृत काल यह चल रहा है, मेरा भारत बदल रहा है।
मैंने बचपन को कैसै जीया,हर अभाव को देखा परखा,
तन ढकने को पहनी खादी,पैरों पर चप्पल टायर की,
चुनने का विकल्प कहाँ था, जो मिल जाता उसी में खुश था,
मंडूवा झंगोरा खाने को मिलता, गैंहू चावल मैहमानो में बंटता,
गुड चटनी में रोटी खा जाते,और दही मठ्ठा को पी जाते,
पैदल पैदल स्कूल जाया करते, घर आकर पानी ढोते,
बार त्योहार छुटियां जो पडती, घास काटने की बारी लगती,
फसल काटना और ढोकर लाना,आंगन मै रख बैल चलाना,
सुखा सुखा कर ढेर लगाना, फिर उसको संभाल कर रखवाना,
यह सब आज की पीढ़ी क्या जाने, गुलामी आजादी के मायने,
अमृत काल यह चल रहा है, मेरा भारत बदल रहा है।
अब तो डिमांड पर निर्भर है, हर सुख सुविधा पर नजर है,
हम तब कब मंदिर मंदिर जाते, हां दीपक हर रोज जलाते,
श्री हरि का स्मरण करते, गणपति की पूजा करते,
नवरात्रों मे देवी माँ को जपतै , हरियाली प्रसाद में बांटते
जन्माष्टमी और शिवरात्रि,हर्षोल्लास सै मनाए जाते,
राम की महिमा राम ही जाने, राम को हम पुरुषोत्तम मानै,
अब राम लला जी विराज गये हैं, सब आंंन्नद विभोर हुए हैं,
अमृत काल यह चल रहा है, मेरा भारत बदल रहा है।