मेरा प्रिय साथी…
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आज बरसों बाद मेरा साथी अचानक ही मेरे सामने आ गया , वैसे तो हरपल मेरे साथ ही रहता है । जहाँ जहाँ मैं गया, वह भी मेरे साथ ही साये की तरह रहा है । मैं उसको बड़े ध्यान से देख रहा था, वह मौन था, शायद यही सोच रहा होगा कि इतने दिनों बाद क्यो मेरी याद आई ? किन्तु एक समय और आज भी वह मेरा बहुत चहेता है, इसलिए उससे जुड़ी सभी यादें हरपल तरोताज़ा रहती है ।
कैसे उससे प्रथम बार मुलाकात ब्यावरा शहर के एबी रोड स्थित सुरेश ब्रदर्स की दुकान पर हुई थी । एक ही नज़र में पहचान गया था, यह मेरा साथी बनेगा । तब से लेकर आज तक वह मेरे साथ है । जीवन के अनेक इम्तिहान में वह मेरे साथ खड़ा रहता था । मुझे हमेशा से परीक्षा में प्रथम स्थान दिलाता रहा है । आजकल उनकी बिरादरी (दो नली) वालो का कम ही उपयोग होता है । आज से 25 साल पहले बहुत उपयोग होता था , उस समय से मैंने आज तक साथी को बहुत सम्भाल कर रखा । एक शहर से दूसरे शहर मेरा स्थान्तरण होता रहा है, वह मेरे साथ ही रहा है ।
मेरा साथी के साथ रिश्ता अटूट है । जब घर में सफाई होती है, तब मैं उसका विशेष ध्यान रखता हूँ, उसे किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो । आजकल के बच्चें उसे पसंद नहीं करते है ।
आज से 25 साल पहले वह बहुत सुंदर और आकर्षक लगता था, समय के साथ उसकी चमक फीकी पड़ गयी है, किन्तु मेरे दिल मे उसका आदर आज भी पहले जैसा ही है । इतना समय गुजरने के बाद भी साथी के साथ मेरा रिश्ता घनिष्ठ और घनिष्ठ होता जा रहा है ।
हरा रंग उसका मुझे, देता सदा सुकून ।
हाथों में ऐसा लगे, जैसे साथ प्रसून।।
निर्जीव होकर भी सजीव सा लगाव देता है । जब कभी मैं अकेला रहता हूँ, उससे ही घण्टो बतियाता रहता हूँ । समय का पता ही नहीं चलता है । उसके साथ बिताए हुए हर पल को आनन्द और मस्ती ने खाली पन में चार चांद लगा दिए थे ।
जब हो मेरे हाथ में, कागज कलम दवात।
लिख देता हूँ प्रेम की, तेरी मेरी बात।।
जब कभी घर से निकलता था, तब अपने दिल के पास तुम्हें बिठाकर हमेशा चलता था । जब जेब न भी हो तो शर्ट में फँसाकर चल देता था । किंतु तुम्हें अकेला कभी नहीं छोड़ता था । तेरे मेरे किस्से बहुत है, कितना और बखान करूँ ।
मैं साथी को किसी के माँगने पर भी नहीं देता था, क्योंकि वह मेरे लिए अनमोल था । जब वह मेरे हाथ मैं रहता था, तब मेरा आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता था । बड़ा स्मूथली वह चलता था, जल्दी जल्दी नीले और लाल रंग से तुरंत कॉपी के पेज को सुंदर लिखावट से भर देता था ।
मुझे गर्व है मेरे साथी दो नली पेन पर , जो मेरे साथ पिछले 25 वर्षों से अभिन्न मित्र की तरह साथ निभा रहा है ।
——जेपी लववंशी