मेरा प्रिय मनमीत
मेरा प्रिय मनमीत
प्रत्यक्ष कहने का साहस जगाओ।
जरा मुस्कराकर हृदय को लुभाओ।
तमन्ना यही एक तुम साथ देना।
सदा प्यार के गीत हरदम सुनाओ।
बनाया तुझे मीत अपना हृदय से।
नहीं जा सकोगे कभी भी हृदय से।
बहुत नव्य- प्राचीन रिश्ता गहन है।
लगाया तुझे है गले से हृदय से।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।