“मेरा निस्वार्थ निश्चछल प्रेम”
जिसे पूजता हूं मैं,
अपने इष्ट भी ज्यादा,
जिसे चाहता हूं मैं,
अपने जीवन से भी ज्यादा,
हमेशा खुश रखना उसे,
ईश्वर तुमसे यही अरदास है।
कठिन समस्या पर भी,
मुस्कुराहट बटोरे रहती है,
हस्ती रहती है हरपल,
पर कुछ नहीं कहती है,
निकालती है भड़ास मुझ पर,
मुझे अपना बहुत कुछ समझती है।
जब तक जीवन है मेरा ,
हरपल उसका ढाल हूं मैं,
उसके लिए कुछ भी,
करने को तैयार हूं मैं,
उसकी बातो का लगता नही बुरा मुझे,
यह जीवन उसका कर्जदार है।
हे ईश्वर सब तुम्ही करते,
खुश रखना हमेशा उसे,
सब ठीक रखो तो उत्तम है,
वरना तुमसे भी लड़ने को तैयार हूं मैं।