मेरा नाजुक दिल
मेरे नाजुक से दिल पर,
लफ़्ज़ों से अपनों ने
ऐसा वार किया।
खून नही निकला लेकिन
जख्मी सौ-सौ बार हुआ।
जख्म भी ऐसा दिया अपनों ने
वह तब तक नही मिटा,
जब तक यह जिंदगी
खाख में न मिल गया।
मेरे नाजुक से दिल पर,
लफ़्ज़ों से अपनों ने
ऐसा वार किया।
खून नही निकला लेकिन
जख्मी सौ-सौ बार हुआ।
जख्म भी ऐसा दिया अपनों ने
वह तब तक नही मिटा,
जब तक यह जिंदगी
खाख में न मिल गया।