मेरा तन ही मेरा धन है __मुक्तक
मेरा तन ही मेरा धन है, इसे मैं प्यार करता हूं।
व्याधि न घेरे कोई भी योग हर बार करता हूं।
निरोगी रहे मेरी काया माया की नहीं जरूरत है,
पेट तो भर ही लूंगा मैं, भुजाओं पे गर्व करता हूं।।
राजेश व्यास अनुनय
मेरा तन ही मेरा धन है, इसे मैं प्यार करता हूं।
व्याधि न घेरे कोई भी योग हर बार करता हूं।
निरोगी रहे मेरी काया माया की नहीं जरूरत है,
पेट तो भर ही लूंगा मैं, भुजाओं पे गर्व करता हूं।।
राजेश व्यास अनुनय