मेरा ठिकाना–१०—मुक्तक—-डी के निवातिया
सीना ताने खड़ा रहूँ, हर पल दुश्मन हो निशाना
अंत घडी जाये प्राण, लबो पे हो जयहिंद का नारा
चाह नही मुझे किसी, धन दौलत या शोहरत की
देश सेवा में लगा रहूँ सरहद पर हो मेरा ठिकाना ।।
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डी के निवातिया_____।।।
सीना ताने खड़ा रहूँ, हर पल दुश्मन हो निशाना
अंत घडी जाये प्राण, लबो पे हो जयहिंद का नारा
चाह नही मुझे किसी, धन दौलत या शोहरत की
देश सेवा में लगा रहूँ सरहद पर हो मेरा ठिकाना ।।
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डी के निवातिया_____।।।