मेरा चाँद न आया…
मेरा चाँद न आया…
रो-रोकर बीती रात।
मेरा चाँद न आया।
ख्वाब जो मन ने बुने।
रह गए सभी अनसुने।
रही मन में मन की बात,
मेरा चाँद न आया !
घिर-घिर आए बदरा।
बह-बह जाए कजरा।
हुई घनन-घनन बरसात,
मेरा चाँद न आया !
किस्मत ने किया उत्पात।
बेबात बिगड़ी बात।
बिन शह के खाई मात,
मेरा चाँद न आया !
कितनी मैंने टेर लगाई।
फिर भी उसने देर लगाई।
बिलखते रहे जज्बात,
मेरा चाँद न आया !
आहट जो जरा सी पाई।
बज उठी मन में शहनाई।
आयी थी पगली वात,
मेरा चाँद न आया !
बुझ गयी आखिरी आस।
रहा न कोई उल्लास।
कुम्हलाया मन-जलजात,
मेरा चाँद न आया !
होने लगी लो प्रात !
मेरा चाँद न आया !
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद