मेरा कृष्णा
खचाखच भरी बस में कंडक्टर को एक बटुआ मिला , जिसमें एक पांच सौ का नोट और भगवान कृष्ण की एक फोटो थी ?
वह जोर से चिल्लाया , ” अरे भाई! किसी का बटुआ गिरा है क्या?”
अपनी जेबें टटोलने के बाद सीनियर सिटीजन सीट पर बैठा एक आदमी बोला, “हाँ, बेटा शायद वो मेरा बटुआ होगा… जरा दिखाना तो ?”
“कंडक्टर बोला दिखा दूंगा- दिखा दूंगा , लेकिन चाचाजी पहले ये तो बताओ कि इसके अन्दर क्या-क्या है ?”
कुछ नहीं इसके अन्दर थोड़े पैसे हैं और मेरे कृष्णा की एक फोटो है”, चाचाजी ने जवाब दिया ?
पर कृष्णा की फोटो तो किसी के भी बटुये में हो सकती है ? मैं कैसे मान लूँ कि ये आपका है ?”, कंडक्टर ने सवाल किया ?
अब चाचाजी उसके बगल में बैठ गये और बोले, “बेटा ये बटुआ तब का है जब मैं हाई स्कूल में था। जब मेरे बाबूजी ने मुझे इसे दिया था तब मेरे कृष्णा की फोटो इसमें थी ?
लेकिन मुझे लगा कि मेरे माँ-बाप ही मेरे लिए सब कुछ हैं इसलिए मैंने कृष्णा की फोटो के ऊपर उनकी फोटो लगा दी… ?
जब युवा हुआ तो लगा मैं कितना हैंडसम हूँ और मैंने माँ-बाप के फोटो के ऊपर अपनी फोटो लगा ली… ?
फिर मुझे एक लड़की से प्यार हो गया , लगा वही मेरी दुनियां है ? वही मेरे लिए सब कुछ है ? और मैंने अपनी फोटो के साथ – साथ उसकी फोटो लगा ली… ? सौभाग्य से हमारी शादी भी हो गयी ?
कुछ दिनों बाद मेरे बेटे का जन्म हुआ। इतना खुश मैं पहले कभी नहीं हुआ था। सुबह – शाम , दिन – रात मुझे बस अपने बेटे का ही ख़याल रहता था… ?
अब इस बटुये में मैंने सबसे ऊपर अपने बेटे की फोटो लगा ली…?
पर अब जगह कम पड़ रही थी , सो मैंने कृष्णा और अपने माँ – बाप की फोटो निकालकर बक्से में रख दी…?
और विधि का विधान देखो ? फोटो निकालने के दो-चार साल बाद ही मेरे माता – पिता का देहांत हो गया… ? और दुर्भाग्यवश कुछ वर्षों बाद मेरी पत्नी भी एक लम्बी बीमारी के बाद मुझे छोड़कर चली गयी ?
इधर बेटा बड़ा हो गया था। उसकी नौकरी लग गयी। नौकरी के बाद जल्दी ही उसकी शादी हो गयी। बहू – बेटे को अब ये घर छोटा लगने लगा ? उन्होंने अपार्टमेंट में एक फ्लैट ले लिया और वे दोनों उसमें सिफ्ट हो गये ?
अब मैं अपने उस घर में बिलकुल अकेला था , जहाँ मैंने तमाम रिश्तों को जीते-मरते देखा था….?
पता है , जिस दिन मेरा बेटा मुझे छोड़ कर गया , उस दिन मैं बहुत रोया था…? इतना दुःख मुझे पहले कभी नहीं हुआ था…? कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि मैं क्या करूँ ? तभी मेरी नज़र उस बक्से पर पड़ी जिसमे सालों पहले मैंने कृष्णा की फोटी अपने बटुये से निकालकर उसमें रख दी थी…?
मैंने फ़ौरन वो फोटो निकाली और उसे अपने सीने से चिपका लिया…? अजीब सी शांति महसूस हुई…? लगा मेरे जीवन में तमाम रिश्ते जुड़े और टूटे लेकिन इन सबके बीच में मेरे भगवान से मेरा रिश्ता अटूट रहा…? मेरा कृष्णा मुझसे कभी रूठा नहीं…?
और तब से इस बटुये में सिर्फ मेरे कृष्णा की फोटो है और किसी की भी नहीं…? उन्होंने कंडक्टर से कहा कि मुझे इस बटुये और उसमें पड़े पांच सौ के नोट से कोई मतलब नहीं है ? मेरा स्टॉप आने वाला है…? तुम बस बटुये में रखी मेरे कृष्णा की फोटो मुझे दे दो…? मेरा कृष्णा मुझे दे दो…? मुझे बटुये के पैसे नहीं चाहिए ?
उनकी दर्दनाक कहानी सुनकर बस कंडक्टर की आंखों में आंसू आ गये और उसने चुपचाप वह बटुआ उनके हाथों में रख दिया।