मेरा कुछ अधिकार नहीं
तुम ही साँसें तुम ही धड़कन, तुम बिन यह संसार नहीं।
छोड़ दिया मैं सबकुछ अपना,फिर भी कहते प्यार नहीं।
बिंदी चूड़ी कंगन पायल, सिंदुर सर पे तेरा है-
इच्छाएँ भी तेरी साजन, मेरा कुछ अधिकार नहीं।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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