मेघ-मेघ में धड़कनें, बूँद- बूँद में प्यार।
मेघ-मेघ में धड़कनें, बूँद- बूँद में प्यार।
………..हरी चुनरिया से हुआ, धरती का शृंगार।
………….काया भीगी मेह में, मचले मन के गीत –
……………..बाहों में अच्छी लगी, इनकारों की हार।
सुशील सरना
मेघ-मेघ में धड़कनें, बूँद- बूँद में प्यार।
………..हरी चुनरिया से हुआ, धरती का शृंगार।
………….काया भीगी मेह में, मचले मन के गीत –
……………..बाहों में अच्छी लगी, इनकारों की हार।
सुशील सरना