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5 Apr 2022 · 1 min read

मेंहदी

मेंहदी
विधा- मुक्तक

वो गोरे रंग पर रचती थी कैसी गांव की मेंहदी।
मैं रहता देखता इकटक तुम्हारे पांव की मेंहदी।
रचा के मेंहदी हाथों में खुशी हो, काश होता ये,
तुम्हारे हाथ में सजती हमारे नाम की मेंहदी।

…….✍️ प्रेमी

Language: Hindi
138 Views
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