मेंहदी
मेंहदी
विधा- मुक्तक
वो गोरे रंग पर रचती थी कैसी गांव की मेंहदी।
मैं रहता देखता इकटक तुम्हारे पांव की मेंहदी।
रचा के मेंहदी हाथों में खुशी हो, काश होता ये,
तुम्हारे हाथ में सजती हमारे नाम की मेंहदी।
…….✍️ प्रेमी
मेंहदी
विधा- मुक्तक
वो गोरे रंग पर रचती थी कैसी गांव की मेंहदी।
मैं रहता देखता इकटक तुम्हारे पांव की मेंहदी।
रचा के मेंहदी हाथों में खुशी हो, काश होता ये,
तुम्हारे हाथ में सजती हमारे नाम की मेंहदी।
…….✍️ प्रेमी