मृत्यु
अटल सत्य जीवन मरण , कोई सका न रोक।
जो आया जाना उसे, उचित नहीं है शोक।।१
जन्म हर्ष देता सदा, मृत्यु भयानक पीर।
काल चक्र निर्मम बड़ा, जड़ जंगम दे चीर।।२
काल चक्र चलता रहा, निर्विध्न निर्विकार।
मृत्यु बिना आहट किये, आ जाता है द्वार।। ३
जीवन के सौन्दर्य का , करता मृत्यु निखार।
जान सका जिससे मनुज , क्या होता है प्यार।।४
मृत्यु जन्म से यूँ बँधी, जैसे अटूट डोर।
एक ओर है जिन्दगी, मृत्यु दूसरी छोर।।५
हे प्रभु अब बंद कर दे, जन्म मृत्यु का खेल।
ऐसे अंधे कूप में, अब तो नहीं ढकेल।।६
सहते सहते थक चुकी, इस जीवन का डंक।
हे मृत्यु पुकारूँ तुझे, भर लो अपने अंक।।७
जब तक तन में साँस है, जीवन की है आस ।
सोच मृत्यु को क्यों डरूँ, क्यों मैं रहूँ उदास।।८
मृत्यु तुल्य मन देख कर, मत करना विश्वास।
मन चंचल होता सदा, जब तक तन में साँस।।९
कर्मों के आधार पर, दुनिया करती याद।
जो दे सबको जिन्दगी , है अमर मृत्यु बाद।।१०
जीते जी मरना नहीं, यह जीवन का पथ्य ।
अजर अमर होता वही,जो समझा यह तथ्य ।।१ १
जन्म मृत्यु कुछ भी नहीं, प्रश्न चिन्ह है एक।
कठिन भेद है जानना,लगा हुआ है टेक।। १ २
सुखद एक जन्नत दिया,अजब अनोखा प्रांत।
मनुज मृत्यु की गोद में, सोता होकर शांत।। १३
-लक्ष्मी सिंह
-लक्ष्मी सिंह