मृत्यु
विचार सारे स्तब्ध और शब्द सारे मूक हैं
चला है वाण काल का वो वाण जो अचूक है।
समीप देखो मृत्यु के ताण्डव की छाया है
जो बच गई वो आत्मा जो जल गई वो काया है।
जॉनी अहमद ‘क़ैस’
विचार सारे स्तब्ध और शब्द सारे मूक हैं
चला है वाण काल का वो वाण जो अचूक है।
समीप देखो मृत्यु के ताण्डव की छाया है
जो बच गई वो आत्मा जो जल गई वो काया है।
जॉनी अहमद ‘क़ैस’