#मूल_दोहा-
#मूल_दोहा-
“खैर, खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीत, मद्यपान।
रहिमन दाबे ना दबे जानत सकल जहान।।”
(कविव रहीम)
इस दोहे पर देश काल, वातावरण व बदलाव के दृष्टिकोण से उपजा विचार नीचे पढ़िए।
#मूल_दोहा-
“खैर, खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीत, मद्यपान।
रहिमन दाबे ना दबे जानत सकल जहान।।”
(कविव रहीम)
इस दोहे पर देश काल, वातावरण व बदलाव के दृष्टिकोण से उपजा विचार नीचे पढ़िए।