*जो लूॅं हर सॉंस उसका स्वर, अयोध्या धाम बन जाए (मुक्तक)*
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
भिंगती बरसात में युँ ही बेचारी रात
हर दिन माँ के लिए
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरु रुष्टे न कश्चन:।गुरुस्त्राता ग
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !