I can’t be doing this again,
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
अदा
singh kunwar sarvendra vikram
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
तन्हा जिंदगी अब जीया न जाती है
तेरी आंखों में है जादू , तेरी बातों में इक नशा है।
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
बात हद से बढ़ानी नहीं चाहिए