मुक़म्मल इश्क़
मुक़म्मल इश्क़
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मुक़म्मल इश्क़ वही जिसमें सर से पाव तक प्यार ही प्यार हो…
बेशक़ एक छत के नीचे न हो पर रूहानी इश्क़ से न
इंकार हो…
दो दिल अलग अलग धड़क रहे पर दो दिल और जैसे
एक जान हो…
लब ख़ामोश हो और सिर्फ और सिर्फ़ प्यार का प्यारा सा एहसास हो…
© Premyad kumar naveen
Dist. Mahasamund (C.G.)