मुहोबत कोई मजाक नहीं
बहुत हंसते थे तुम हमारी दीवानगी पर ,
अब खुद पर गुजरी कयामत तो पता चला ।
मुहोबत करना कोई मजाक नहीं होता ,जनाब !
चाक जिगर सीना पड़ा खुद का तो पता चला।
बहुत हंसते थे तुम हमारी दीवानगी पर ,
अब खुद पर गुजरी कयामत तो पता चला ।
मुहोबत करना कोई मजाक नहीं होता ,जनाब !
चाक जिगर सीना पड़ा खुद का तो पता चला।