मुहर्रम
Nabi के नवासे की सहादत पर
कुछ लोग मुहर्रम के दिन अपने आप को नबी के दिवाने और हुसैन के सहाद्त पर उनके कातिलों को कतल करना चाहेंगे। नाच बाजा बजाकर अस्तगफीरुल्लाह😔
जिनके पैदाइस और शादी के दिन नाच बजा नहीं हुआ उनके सहादत के दिन बजा बजाएंगे 🥺
कैसा लगेगा जब आपके घर में किसी की मौत हुई हो और आपका पड़ोसी या आपके घर वाले बाजा बजाएंगे🤔
इस्लाम शांति का संदेस देता है न की नफरत का।
अगर आप ये सोचते है कि आपके जुलुस से वो लोग डर जायेंगे से तो याद रखिए गा जंगे कादसिया में एक सुन्नत ( मिस्वाक ) को छोड़ देने से हमारे सहाबा, मुखालिफों से जंग हारने लगे थे। आप तो नाच बाजा बजाते है।
अगर आप नबी के सच्चे दिवाने और उनके नवासों से मोहब्बत रखते है तो तौबा व इस्तीगफार कीजिए और मुहर्रम के जुलूस का boycutt कीजिए।