मुहब्बत
अपनापन और मुहब्बत को जताना या बताना जरूरी नहीं है। सामने वाला इसको खुद ही महसूस कर लेता है। वह चाहे अंधा, गूंगा, या बहरा ही क्यों ना हो।
अपनापन और मुहब्बत को जताना या बताना जरूरी नहीं है। सामने वाला इसको खुद ही महसूस कर लेता है। वह चाहे अंधा, गूंगा, या बहरा ही क्यों ना हो।