** मुहब्बत यूं बदनाम नहीं होती **
चाहत कभी गुमनाम नहीं होती
राहे कभी सुनसान नहीं होती
होती चाहत तेरे दिल में मेरी
तो मुहब्बत यूं बदनाम नहीं होती ।।
?मधुप बैरागी
ऐ सूरज
ज़रा
कैफियत बरत
हम तो
ऐसे भी
इश्क में
तपाए हुए हैं
अपनी तपिस
को
सीने में
बचा के रख
आने वाली
सर्द में
काम आएगी ।।
?मधुप बैरागी