[[ मुहब्बत में सनम आँखे बही मालूम होती हैं ]]
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मुहब्बत में सनम आँखे बही मालूम होती हैं
अँधेरी रात है और चाँदनी मालूम होती हैं
मुहब्बत को जमाने से मिटाने फिर चले देखो
मुहब्बत में बग़ावत फिर हुई मालूम होती हैं
नितिन शर्मा
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मुहब्बत में सनम आँखे बही मालूम होती हैं
अँधेरी रात है और चाँदनी मालूम होती हैं
मुहब्बत को जमाने से मिटाने फिर चले देखो
मुहब्बत में बग़ावत फिर हुई मालूम होती हैं
नितिन शर्मा