*** मुहब्बत का ताज ***
क्यों मेरे जिस्म ने
मुहब्बत का ताज पहना
ये इश्क की सत्ता है कि
सम्भाले नहीं सम्भलती ।।
जब से हमने
मुहब्बत का
ताज
पहना है
इश्क की
सल्तनत
है कि
सम्भलती
ही नहीं
कोई न कोई
बलवा हो
ही जाता है
जब जब
वो अपने
हुस्न का
जलवा
दिखाती है ।।
?मधुप बैरागी