* मुस्कुरा देना *
** गीतिका **
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जरा सा देखकर तुम मुस्कुरा देना।
किसी की नींद के पल पल चुरा देना।
पता सबको यही आदत हसीनों की।
बना जीवन सभी का बेसुरा देना।
सुकोमल पुष्प जैसा है बदन जिनका।
कभी मत वस्त्र उनको खुरदुरा देना।
न कोई काम अच्छा कर सके हो जब।
बिना कारण सिला फिर क्यों बुरा देना।
बहुत कोमल हुआ करते सभी के दिल!
नयन नम कर चला फिर मत छुरा देना।
कठिन हालात में वादा निभाया जब।
महल सपने लिए मत भुरभुरा देना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०४/११/२०२३