मुस्कुरा के चलीं
जब चलीं माथ आपन उठा के चलीं
बाटे संकट भले मुस्कुरा के चलीं
साँच के साथ दीहल जरूरी हवे
झूठ के दौर बा मत चुपा के चलीं
हो सकेला सभे साथ ना दे भले
जे मिले सबके आपन बना के चलीं
का पता राह में के मिले कब कहाँ
जब चलीं रूप आपन सजा के चलीं
गर उदासी रही तऽ हँसी ई जहाँ
दर्द दिल के हमेशा छुपा के चलीं
ना कइल बतकही लोग छोड़ी कबो
बात कवनो न दिल से लगा के चलीं
काँट ‘आकाश’ हर ओर बाटे भले
खुद बढ़ीं सबके हिम्मत बढ़ा के चलीं
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- १८/०८/२०२१