मुस्कुरा कर
हायकु मुक्तक
मुस्कुरा कर।
सजा रही दिल में।
प्रेम की बाती।
गुनगुनाती।
सुनाती है चाहत।
प्रेम की पाती।
कालिन्दी तीरे।
कन्दुक खेले कान्हा।
रास रचाये।
कपकपाते।
अधराधर मोहें।
प्रेम की थाती।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्तकोष
जिला चिकित्सालय सीतापुर
9450022526
मौलिक रचना