“मुस्कुराते हुए ही जिऊंगा”
“मुस्कुराते हुए ही जिऊंगा”
अब मैंने ये सोच लिया है,
मुस्कुराते हुए ही जिऊंगा….
ग़म के साथ भी जीना सिखूंगा।
जो गलतियाॅं हुई सो हुई….
अब नहीं उसे दोहराऊंगा….
काश, बहुत पहले ही ये कर पाता
तो ज़िंदगी और भी खुशहाल होती!
पर अब बची-खुची ज़िंदगी में से
हर लम्हा चुराकर जी लूॅंगा….
पूरी शिद्दत से कर्म अपने कर
आनेवाले कल को बेहतर करूंगा….
…अजित कर्ण ✍️