Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2019 · 3 min read

मुस्कुराते हुए करें बाधाओं का स्वागत

प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन मे अनगिनत बाधाओं का सामना करता है।बाधाएं हमारी राह में आने वाली वो रुकावटें हैं जो हमें आगे नही बढ़ने देतीं। चाहे वो घर चलाने में आने वाली बाधा हो,परीक्षा मे सफल न हो पाने की बाधा हो, आपसी रिश्तों में दरार के रूप में आने वाली बाधा हो या समाज सुधार के मार्ग में आने वाली बाधा हो,ऐसी ही अनगिनत बाधाओं का रोना रोने वालों की कमी नही है। पर वे भूल जातें हैं, कि यदि जीवन है तो बाधाएँ आएंगी ही,ये तो प्रकृति का नियम है।इन्ही लहरों रूपी बाधाओं से घबराकर कुछ लोग धराशाही होकर इसके साथ बह जातें है तो कुछ लोग इसका डटकर सामना करते हुए इसे पार कर जाते है। इन दोनों स्थितियों में फर्क बस मनुष्य की नकारात्मक और सकारात्मक सोच का है। बाधाएं समयानुसार आती जरूर हैं,लेकिन हम इतनी आशंकाओं से भरे रहतें है कि समय से पहले ही ये बाधाएं हमारी सोच पर हावी हो जाती हैं। यदि हम इनसे घबराने लगतें है तो हमारी निर्णय लेने की शक्ति प्रभावित हो जाती है और हम गलत निर्णय लेने लग जातें हैं। वास्तव में बाधाएं कुछ नही करती,करने वाले तो हम होतें है।हम जो चाहें वो उनके साथ कर सकतें है।जीवन मे कोई भी कार्य बाधाओं का सामना किये बिना पूरा नही होता। छोटी बड़ी मुसीबतें , रुकावटें,असफलताएं बाधाओं के रूप में सामने आती ही है जिनसे हमें जुझना पड़ता हैं लेकिन यदि पहले से ही इन बाधाओं को दिमाग में ,अपनी सोच में जगह दे दी गई तो फिर इनका समाधान निकालने के लिए सोच कम पड़ जाएगी।इसलिए जब जिस तरह की बाधाएं सामने आए, उसी समय पर्याप्त और सकारात्मक सोच के साथ इनका सामना करना चाहिए।
” दी साइंटफिक यूज ऑफ फैक्टर एनालिसिस इन बिहेव्यरल एंड लाइफ साइंसेज” किताब के लेखक और प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक आर. कैटल का कहना है कि बाधाओं से डरें नही,बल्कि उनपर हँसना सीखें। ऐसे में बाधाओं में व्यक्ति को दरारें पड़ती नजर आएंगी।उनके अनुसार बाधाएं कुछ नही हैं,वे तो केवल मृग-मरीचिका हैं जिन्हें हम सच मान लेतें है और उनके साथ ऐसा व्यवहार करने लगते है मानो वो सच का प्रतिमान हैं।
यदि सामने कोई बाधा है तो उसके साथ बस दो घटनाएं हो सकती है या तो वो हमारे पैरों तले कुचली जाएंगी या वो हमें पीछे हटने पर मजबूर कर देंगी और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम बाधाओं को किस रूप में स्वीकार करतें हैं।अगर व्यक्ति सकारात्मक सोच वाला है तो बाधाएं सड़क पर औंधे मुँह लेटे स्पीड ब्रेकर से अधिक और कुछ नही होतीं,जिन्हें सम्भलकर आसानी से पार किया जा सकता है और यदि सोच नकारात्मक है तो बाधाएं पहाड़ की तरह बड़ी नजर आती है जिन्हें पर करना आसान नही दिखता। इसलिए यदि मार्ग में बाधाएं आये तो कभी घबराएं नही बल्कि उनका डटकर सामना करें और जरूरत पड़े तो मार्ग ही बदल दें।अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखे।यदि आप बाधाओं से परेशान होंगे तो आपके आपने भी आपको देखकर परेशान रहेंगे अतः बाधाओं को कभी अपने ऊपर हावी न होने दे।बाधा चाहे जितनी बड़ी ही क्यों न हो उसका स्वागत हमेशा मुस्कुराते हुए करें।

Language: Hindi
Tag: लेख
282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...