*”मुस्कराहट”*
“मुस्कराहट”
हौले से जब चेहरों पे आ जाती है मुस्कराहट,
छुपा कर रक्खा था बरसों तक जिस हंसी को ,
आज होठों पर आके ,चेहरे का नूर बन गया है।
ख़्वाबों ने आकर फिर वह बतला कर,
हमेशा यूँ ही चेहरों पे बिखरा गया है।
चाहे सूरत जैसी भी हो ,गोरी हो या काली मूरत हो ,
घोर उदासी में भी आशा की किरणें चेहरे की मुस्कराहट में शामिल हो।
चेहरों की चमकती हुई होठों पर बरसती हो ,
हरेक चेहरे की चमक होठों पर लरजती हो।
उपवन के फूलों की खुशबू सी महकती हो।
माँ की ममता की छाँव जन्नत की सैर कराती हो।
खुशियों का आधार बनाकर मीठी सी मुस्कान उपहार दे जाती हो।
हंसता हुआ चेहरा ब्याज सहित मूलधन में लौटा दी जाती हो।
कुछ सच्ची कुछ झूठी गवाही दे सम्मानित कर जाती है।
चेहरों का नूर सब हाल बयां कर देती है।
मुस्कान बिखेर कर सारे जहान में सुगंध बिखेरती है ।
कभी बिछुड़ कर कभी गले मिलते हुए, कभी ख़्वाबों में आके हकीकत बयान कर जाती है।
कभी पलकों से अश्रुधारा बहते हुए खुशियों की मुस्कराहट बिखेर जाती है।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️