मुसीबतों मे ना कोई हमदम रह जाए?
ज़िंदगी के किसी मोड़ पे कौन कब साथ छोड़ जाए?
मुसीबतों मे ना कोई हमदम रह जाए?
तू अपने दमखम ही चलता जा,
की कोई तेरी उम्मीदों का साथ ना छोड़ पाए?
शायर©किशन कारीगर
ज़िंदगी के किसी मोड़ पे कौन कब साथ छोड़ जाए?
मुसीबतों मे ना कोई हमदम रह जाए?
तू अपने दमखम ही चलता जा,
की कोई तेरी उम्मीदों का साथ ना छोड़ पाए?
शायर©किशन कारीगर