मुश्किलो में मुस्कराना चाहिए
मुश्किलों में मुस्कराना चाहिए ।
गम दिखें खुशियां मनाना चाहिए।।
बागवा का फूल मुरझाया नहीं ।
हौसला सबको यूं दिलाना चाहिए ।।
हर किसी का फर्ज है इस वक्त मेँ ।
हक गरीबों का दिलाना चाहिए ।।
रो उठेगा आसमां भी दर्द से ।
यूं न अश्कों को बहाना चाहिए ।।
मुफलिसी ने तोड़ दी है यूं कमर।
गमजदों का गम मिटाना चाहिए ।।
कुछ न देगा ये जहाँ पाण्डे तुम्हें।
गम नहीं इसको बताना चाहिए ।।
याद रखना उसमें बरकत है बहुत ।
सिर्फ मेहनत से कमाना चाहिए ।।
ले रहा है जान कोरोना तो ये ।
घर में रहकर के हराना चाहिए ।।
वायरस से लड़ रहे जो देश में ।
हौसला उनका बढाना चाहिए ।।
कट गए हों पंख पर ये पंक्षियों ।
यूं न तुमको फड़फड़ाना चाहिए ।।
अश्क से ज्यादा न कुछ भी कीमती
यूं न अश्कों को बहाना चाहिए ।।
बांटने से और बढ़ती है खुशी ।
हो सके तो बांट आना चाहिए ।।
है खुशी तो मुस्कराते हैं सभी ।
गम मिले तो मुस्कराना चाहिए ।।
वक्त नाजुक है दिलों में ख़ौफ भी ।
जोश सबका अब बढ़ाना चाहिए ।।
अपनेपन की छांव दे जो दोस्तो ।
इक शजर ऐसा लगाना चाहिए ।।
दूर घर से लड़ रहे जो देश हित ।
कुछ तो उनसे सीख जाना चाहिए ।।
जिंदगी हरपल इक तमाशा हो गई ।
वक्त पटरी पर पुराना चाहिए ।।
आदमी को जब उदासी घेर ले ।
गीत कोई गुनगुनाना चाहिए ।।
दोस्तो से बेरुखी अच्छी नहीं ।
रुठ जाएं तो मनाना चाहिए ।।
नफरतों से आज तक बरकत नहीं ।
छोड़ रंजिश साथ आना चाहिए।।
एक खाये और इक भूखा रहे ।
पेट तो अब सब सबका भरना चाहिए।।
आरती हो बन्दगी मतलब नहीं ।
भाव खालिस ही निकलना चाहिए ।।
अपने घर से बाहर न निकलो अभी ।
बात यह सबको बताना चाहिए ।।