मुराद अपनी कोई अगर नहीं हो पूरी
मुराद अपनी कोई अगर नहीं हो पूरी।
निराश होकर तू खुद से उदास होना नहीं।।
अगर नहीं मिले तुमको अपनी तक़दीर हसीं।
तू अपनी जिंदगी से तो हताश होना नहीं।।
मुराद अपनी कोई ————————-।।
देखा था मैंने भी जिंदगी में एक ख्वाब हसीं।
किये जतन हजारों मगर, मिली नहीं वह खुशी।।
अगर तुमको भी कोई खुशी कभी नहीं मिले।
तू अपनी जिंदगी से तो बेसाज होना नहीं।।
मुराद अपनी कोई————————-।।
तुमसे खफा हो अगर तेरे, अजीज दिल यहाँ कभी।
बने हो तेरे दुश्मन, जिनको चाहा था तुमने कभी।।
नहीं साथ दे कोई अगर मुसीबत में तेरा।
तू अपनी जिंदगी से तो नाराज होना नहीं।।
मुराद अपनी कोई ————————।।
औरों को देखकर आबाद, तू ऐसे हाय नहीं भर।
महकेगी तेरी फिजा भी, गलत दुहायें तू नहीं कर।।
तुमको मिले नहीं तव्वजो, अगर महफ़िल में।
तू खोकर होश, अपनी जिंदगी को खोना नहीं।।
मुराद अपनी कोई—————————।।
किसी से हद से ज्यादा, तू उम्मीद नहीं कर।
मिला है जो तुमको, तू उसी पे तस्कीन कर।।
नसीब नहीं हो तुमको, अगर बहार जीवन में।
नाउम्मीद, कमजोर तू , जिंदगी में होना नहीं।।
मुराद अपनी कोई————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)