मुरझाए हुए छंद है ।
सब इंसान गए ठहर ।
कोरोना बरपाए कहर ।
यहाँ वहाँ जहाँ देखो,
बस्ती बस्ती शांत है शहर ।
सारा संसार बंद है ।
अर्थव्यवस्था मंद है ।
व्याकुल सब जन ,
मुरझाए हुए छंद है ।
हर दिवस रविवार है ।
छुट्टियों की बहार है ।
फिर भी मन मायूस है,
कोरोना का हाहाकार है ।
है ! ईश्वर आए आपकी शरण में ।
आप विराजमान है कण कण में ।
दूर करो कृपा निदान यह संकट,
सारी मानवता है मरण में ।
।।।जेपीएल।।