*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
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इच्छाओं की पोटली बांधे
सिरहाने रख रोता है
कुछ पाने की चाह लिए
फुटपाथों पर सोता है
मुफ़लिस का जीवन बन्धु
तिरस्कृत कोना सा होता है
चर्म चक्षु के प्यालों में “चुन्नू”
गिरने भर पानी होता है —
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•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)