Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2019 · 2 min read

“मुनिया”

वह आज थोड़ी उदास थी।पापा ने बड़ा सा नया घर खरीदा था।सब खुश थे भईया, मम्मी, पापा यहाँ तक की दादी भी! पर कोई खुश न था तो वो तो बस मुनिया ही थी। तीन साल की अभी-अभी तो हुई थी कहाँ समझ पाती थी कुछ ,बोलना भी तो अब जाके आया था।आस-पास का जाना-पहचाना माहौल छूट रहा था कैसे खुश होती। उसे पँछीयों से बड़ा लगाव था जब भी उन्हें देखती चहक उठती उसे हमेशा ऐसा लगता था कि ये सारे पंछी बस उसी के लिए ही धरती पर आये हैं।उन्हें अपना खिलौना समझती थी। सोच रही थी नये घर में कोई न मिला तो? वहाँ पता नही कोई पेड़ भी है की नही? यहाँ तो कितने ही पेड़ और ढ़ेर सारे पंछी!

नया घर पाँचवी मँजिल पर था बहुत बड़ा।अगल-बगल कोई पेड़ न था जो थे वो दूर थे। मुनिया यह देखकर और ज्यादा उदास हो गई। किसी को उसकी चिंता न थी सब अपने में व्यस्त थे। बालकनी में झाँकना चाहा तो मम्मी ने हाथ पकड़कर अंदर बिठा दिया”झाँको मत गिर जाओगी” कहकर। क्या करती बैठकर सब को काम करते हुए देख रही थी वो कुछ कर भी तो नही सकती थी।उसने सोचा मैं सबकी मदद भी तो नही कर सकती मैं छोटी हूँ ना!

घर को सेट करने में सबका पूरा दिन निकल गया।सब थक गये रात हो चली थी सब सोने चले गये। मम्मी ने मुनिया को खाना खिलाकर बिस्तर में सुलाना चाहा पर वो कहाँ सोने वाली थी दादी से लोरी सुनने की जिद करने लगी मम्मी ने डाँट दिया।दादी थककर सो गई थी मम्मी ने कहा” सो जाओ परेशान मत करो”।वो चुपचाप सोने का नाटक करने लगी, आँखों में आज नींद न थी।छोटी सी जान को अपने पीछे छोड़ आई पंछीयों की चिंता थी अब उन्हें कौन दाना देगा? पुछना चाहती थी दादी से, पापा से पर उन्हें समय ही नही मिल पाया उसके पास बैठने का और मम्मी ,भईया तो उसकी बात पर गौर ही कहाँ करते थे।उस नन्ही का मन पंछीयों मेंअटका था घरवाले क्या जानते उसकी चाहत का मोल।कब सो गई पता भी न चला। (क्रमशः)

#सरितासृजना

Language: Hindi
517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
बेड़ियाँ
बेड़ियाँ
Shaily
"दुमका संस्मरण 3" परिवहन सेवा (1965)
DrLakshman Jha Parimal
अच्छाई बनाम बुराई :- [ अच्छाई का फल ]
अच्छाई बनाम बुराई :- [ अच्छाई का फल ]
Surya Barman
रूठकर के खुदसे
रूठकर के खुदसे
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
इबादत के लिए
इबादत के लिए
Dr fauzia Naseem shad
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
Sukoon
2768. *पूर्णिका*
2768. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
विजय कुमार अग्रवाल
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
Santosh Soni
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
*।।ॐ।।*
*।।ॐ।।*
Satyaveer vaishnav
काँटा ...
काँटा ...
sushil sarna
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
Mohan Pandey
माता के नौ रूप
माता के नौ रूप
Dr. Sunita Singh
पुस्तक समीक्षा -राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
पुस्तक समीक्षा -राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आ भी जाओ
आ भी जाओ
Surinder blackpen
#हिंदी_ग़ज़ल
#हिंदी_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ बात थी
कुछ बात थी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
💐💐दोहा निवेदन💐💐
💐💐दोहा निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
Dr Archana Gupta
माफ़ कर दे कका
माफ़ कर दे कका
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
रक्तदान
रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
पूर्वार्थ
रिश्तें मे मानव जीवन
रिश्तें मे मानव जीवन
Anil chobisa
"इतिहास गवाह है"
Dr. Kishan tandon kranti
*.....मै भी उड़ना चाहती.....*
*.....मै भी उड़ना चाहती.....*
Naushaba Suriya
निकला है हर कोई उस सफर-ऐ-जिंदगी पर,
निकला है हर कोई उस सफर-ऐ-जिंदगी पर,
डी. के. निवातिया
God is Almighty
God is Almighty
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...