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5 Jul 2022 · 1 min read

मुद्दतों बाद मिले

पुरानी बातों का जनाजा
उठाने आये हैं
चार काँधों पर ये
रस्म निभानी होगी,

देखले माज़ी के गुजरते
हुए गलियारों में
कहीं बीता हुआ बचपन
तो औंधी सी जवानी होगी

वक़्त के
साथ बदल जाती है
हर शै यूँ तो,
देख धुँधली ही सही
कोई तस्वीर पुरानी होगी,

मैं ढूंढ़ता हुँ तुझे
बीते उस जमाने में
कुछ तेरे पास भी
भूली सी
कहानी होगी

चैन से गुफ़्तुगू हो
या इल्ज़ाम तराशी करलें
आ के मिल बैठे हैं
तो अब बात जुबानी होगी

तकाज़ा उम्र का है
मुमकिन है फिर न लौट सकें
इस बचे वक़्त को
बेहतर ये निशानी होगी

Language: Hindi
Tag: Poem
225 Views
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