मुझ में ठहरा हुआ दर्द का समंदर है
मुझ में ठहरा हुआ दर्द का समंदर है,
दोस्त तेरी यादों का वही मंजर है।
मेरे अंदर है इक मासूम तड़पता हुआ,
और पड़ा उसका दिल बंजर है।
आ रहीं हैं इसलिए ख़ामोशी की आहट
क्योंकि वहां एक वीरान खंडहर है।
जो चुभता है दिन रात सीने में मेरे,
वो तेरी ही जुदाई का खंजर है।
इसलिए भी मेरे अंदर रुक सकती नहीं खुशी,
क्योंकि तेरे दिए हुए गमों का बवंडर है।