** मुझे शिद्दत से याद किसने किया **
आज फिर मुझे सिद्दत से याद किसने किया
आज ग़म-ए-दरिया को प्यासा किसने किया
हलक से निकली जुबां इस क़दर बाहर फिर
आज दिल-ए-नाशाद को याद किसने किया।।
?,मधुप बैरागी
यूं प्यार भरी इल्तज़ा ठुकराना नहीं
यूं दिल-ए-शीशा तोड़कर मुस्कुराना नहीं ।
?,मधुप बैरागी