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*प्रणय*
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28 May 2023 · 1 min read
मुझे “विक्रम” मत समझो।
मुझे “विक्रम” मत समझो।
“मरघट के बेतालों…!”
दूसरे कंधे तलाशो।
■प्रणय प्रभात■
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