मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
न सुना-सुना के उदास कर।
तू खिज़ाँ का फूल है, मुस्कुरा,
जो गुज़र गया सो गुज़र गया।
– बशीर बद्र
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
न सुना-सुना के उदास कर।
तू खिज़ाँ का फूल है, मुस्कुरा,
जो गुज़र गया सो गुज़र गया।
– बशीर बद्र