मुझे छल रहे थे
जो अपने मेरे नही थे
मै उन्हें अपना बनाती रही
वें अपनेपन का नकाब ओढे
मुझे छल रहे थे, और
मै उनकी बातों मे आती रही
वें मुझे छल खुश हो रहे थे
और मै उनकी खुशी देखकर
ताली बजाती रही
इस क्रम मे कई बार जो सच मे
मेरे अपने थे
उनके दिलों को ठेस पहुँचाती रही।
~अनामिका