मुझे चांद का इंतज़ार नहीं
जब तू सामने आता है
मेरा इंतज़ार खत्म हो जाता है
देखकर तुझको ही
मेरा चांद मुझे दिख जाता है
देखकर ही तेरा चेहरा
मेरे दिल को सुकून आता है
मुझे चांद का इंतज़ार नहीं
फिर भी ये क्यों आ जाता है
देखना चाहता है वो किसी को
जो रोज़ रोज़ चला आता है
कभी दिन को कभी रात को
वक्त बेवक्त दिख ही जाता है
मिला दे अब तो कोई उससे
चांद का इंतज़ार और न बढ़ा
है उसका भी इंतज़ार किसी को
तू उनकी धड़कने और न बढ़ा
मैं तो कहता हूं कभी भी
तू किसी से इंतज़ार न करवा
बहुत मुश्किल होता है इंतज़ार
बैचैनी किसी की और न बढ़ा
मैंने भी किया है कई बार
घंटों घंटों तक किसी का इंतज़ार
जानता हूं, इंतज़ार के बाद
उसको देखकर आता है सुकून बेशुमार
मुझे चांद का इंतज़ार नहीं
लेकिन उसको तो है किसी का
मिल जाए उसे वो जल्द ही
तो सुकून लौट आएगा किसी का।