मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
मुझे अपनी दुल्हन, तुम्हें बनाना नहीं है।
मुझे अपना साथी, तुम्हें बनाना नहीं है।।
किसी को अपने दिल में जगह नहीं दूंगा।
मुझे अपना हमराह, तुम्हें बनाना नहीं है।।
मुझे अपनी दुल्हन———————–।।
नहीं है मुझको प्यार, कुछ भी तुमसे दिल से।
नहीं है मुझको चाहत, कुछ भी तेरी दिल से।।
तेरी गिरफ्त में मेरे दिल को, नहीं आने दूंगा।
मुझे अपना हमराज, तुम्हें बनाना नहीं है।।
मुझे अपनी दुल्हन———————–।।
सजाई है क्यों तुमने राह, आज फूलों से।
अपनी महफ़िल अपनी मांग आज फूलों से।।
अपने लबों को कभी तुमसे नहीं छूने दूंगा।
मुझे अपना ख्वाब, तुम्हें बनाना नहीं है।।
मुझे अपनी दुल्हन———————–।।
कहाँ थी, जब जिंदगी में तेरी जरूरत थी।
आँसू बह रहे थे, मेरे सिर पे जब मुसीबत थी।।
तुमको हकदार, अपने सुखों का नहीं होने दूंगा।
मुझे अपना हमदर्द, तुम्हें बनाना नहीं है।।
मुझे अपनी दुल्हन———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)