मुझसे मेरा हाल न पूछे
जाओ इस दुनिया से कह दो,
मुझसे मेरा हाल न पूछे।
इनको समझ नहीं आएगा
छोड़े ये जंजाल न पूछे।
बाहर से चेहरा लटकाकर,
मन ही मन मुस्कान वाले।
हमको दुनिया से क्या लेना,
कह कांधा उचकाने वाले।
मुझसे आकर पूछ रहे है,
सबब उदासी का बतलाऊँ।
सबके ग़म पर हँसने वालों
को मैं अपना ग़म दिखलाऊँ।
मुझे मुबारक मेरी उदासी,
इनसे कहो बवाल न पूछे।
और अगर बतला भी दूं तो,
ज़रा बताएं क्या कर लेंगे।
कहने से दुख कम होता है,
बस इतना ही दोहरा देंगे।
इन्हें नहीं मालूम हमारा
दुख सागर के विष जैसा है
शिव का कंठ स्याह है जैसे,
दिल का हाल ठीक वैसा है।
जग मेरी पीड़ा हर लेगा !
कहो बजाकर गाल न पूछे।
हम जैसों की आदत है दुःख,
हँसते रोते सह जाते हैं।
हम ख़ुद भी ये समझ न पाए
मर के कैसे जी जाते हैं।
जिन अधरों पर हंसीं सजी हो,
उनको ख़ुदा सलामत रखे।
जिन्हें सहेजे रहतीं आँखें,
सपने ख़ुदा सलामत रखे।
हम तो जैसे हैं वैसे हैं,
मन में छुपा मलाल न पूछे