मुझमे है तू …….
सोचु जो तुझे तो एक ख्वाईश सी लगती हो
मेरे लम्हों की इंतेहा नुमाइश सी लगती हो
मेरे तन्हाई के साथी सितारों सी लगती हो
एक नही दो नही मुझे हज़ारो में लगती हो
गरीब को जो मिले उस खाने सी लगती हो
शराबी को जो नचाये मयखाने सी लगती हो
बारिश की मीठी फुहार ठण्डी बूंदों सी लगती हो
प्यासे को मुश्किल से मिले वो दो बूंदों सी लगती हो
मेरी धड़कन हो तुम
रातो की तड़पन हो तुम
दिन का उजाला तुम
इश्क निराला तुम
मेरी जित में तुम
मेरी हार में तुम
मेरे लफ़्ज़ हो तुम
इज़हार भी तुम
मेरी शक्ति भी तुम
मेरी भक्ति भी तुम
मेरे राज़ भी तुम
माथे सजे ताज भी तुम
मेरे खयालो में तुम
उलझे सवालो में तुम
जो कभी न हो शांत
वो ब्वालो में तुम
मेरे अपनों में तुम
शैंकी के सपनो में तुम