मुझको नया भरम दे , नया साल दर पे हैं
मुझको नया भरम दे , नया साल दर पे हैं
इक बे-वफ़ा सनम दे , नया साल दर पे हैं
अच्छी ग़ज़ल तराशे ज़माना हुआ हैं अब
कोई नया ही ग़म दे , नया साल दर पे हैं
जितने मिले थे दर्द , रक़म कर दिए सभी
ग़म की नई क़लम दे , नया साल दर पे हैं
वो शेर सुनके वाह हैं करती , ये रहम क्यों
शाइर को बस सितम दे , नया साल दर पे हैं
वादा शराब छोड़ने का हैं दिया उसे
यारा शराब कम दे , नया साल दर पे हैं…