मुझको ज्ञान नहीं कविता का
मुझको ज्ञान नहीं कविता का फिर भी कवि कहलाता हूं
बड़े महान दिवंगत कवियों की रचनाएं चुराता हूं
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तुलसी सूर कबीरा की चोरी करना आसान नहीं
पर ऐसे भी कई यहां जिन की कोई पहचान नहीं
बैठ पुस्तकालय में घंटों रचनाएं पा जाता हूं
मुझको ज्ञान नहीं कविता का फिर भी कवि कहलाता हूं
खूब चुटकुले याद मुझे मैं संचालन कर लेता हूं
नहीं लिहाज जिसे भी चाहू अपमानित कर देता हूं
अखबारों में नाम छपा कर खूब प्रसंशा पाता हूं
मुझको ज्ञान नहीं कविता का फिर भी कवि कहलाता हूं
मुझ पर कृपा लक्ष्मी मां की सरस्वती से क्या लेना
सभी जगह मेरी जुगाड़ है आता है लेना-देना
माहिर हूं पर समीकरण में अपनी गोट विठाता हूं
मुझको ज्ञान नहीं कविता का फिर भी कवि कहलाता हूं
अखबारों के फोटोग्राफर पत्रकार हैं मित्र मेरे
लगभग सभी बड़े लोगों के साथ छप रहे चित्र मेरे
नहीं चरण वंदन करता बस कदमों में बिछ जाता हूं
मुझको ज्ञान नहीं कविता काफिर भी कवि कहलाता हूं
यूं तो सरकारी सेवक हूं पर सबको खुश रखता हूं
नीचे से ऊपर तक सब की मालिश पालिश करता हूं
ड्यूटी आवर में भी दिन के आयोजन निपटाता हूं
मुझको ज्ञान नही कविता का फिर भी कवि कहलाता हूं
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डॉक्टर// इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव